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ईसाई धर्म के चालीसे का पहला शुक्रवार

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झाबुआ। राख बुध से कैथोलिक ईसाई समाज चालीसे काल में प्रवेश करते है। ये चालीसा काल प्रभु येसु के दुखःभोग, मरण एवं पुनरूत्थान की हमें याद दिलाता है। इसी कडी में चालीसे के पहले शुक्रवार के दिन कु्रस यात्रा की गई इस क्रुस यात्रा में 14 विश्रामों के माध्यम से येसु के दुखःभोग को याद किया जाता है कि हमारें पापों के कारण येसु सुली पर चढ गए। इस शुक्रवार को मुख्य याजक फादर इम्बानाथन एवं फादर प्रताप बारिया थे।
झाबुआ पल्ली पुरोहित फादर प्रताप ने बताया कि प्रार्थना, परोपकार और उपवास चालीसा के तीन प्रमुख स्तंभ हैं। बताया कि येसु ने अपने दुख भोग और क्रूस पर लटकाए जाने की घटना के बारे में अपने शिष्यों को तीन बार बताया था। पर वह सहज ही विश्वास नहीं करते थे। उनका मानना था कि येसु उन्हें रोम की परतंत्रता से निजात दिलाएंगे। ऐसे में जब वह अपनी मृत्यु के बारे में बताते थे तो अनुयायी दुखी हो जाते थे। क्रूस पर लटकाए जाने से कुछ दिन पहले येसु अपने तीन शिष्यों संत पतरस, योहन और याकूब इजरायल के एक ऊंचे तबोर पर्वत पर ले जाते हैं। वहां पर येसु ध्यान मग्न हो जाते हैं। इसके साथ उनका रूपांतरण हो जाता है। उनके तीनों शिष्य देखते हैं यीशु के मुखमंडल से तेज प्रकाश निकल रहा है, उनके वस्त्र बेहद उजले हो गए हैं। तीनों शिष्यों को यीशु मूसा और नबी एलियस से बात करते हुए नजर आते हैं। इसी बीच एक बादल येसु के ऊपर छा जाता है आकाशवाणी होती है कि यह (यीशु) मेरा प्रिय पुत्र है इसकी सुनो। यह सब दृश्य देखकर तीनों शिष्य भय और आश्चर्य में डूब जाते हैं। फादर प्रताप बारिया ने बताया कि प्रभु यीशु अपने शिष्यों को अपनी वास्तविकता बताना चाहते थे इसलिए अपने तीन खास शिष्यों को तबोर पर्वत पर ले गए थे। उनके शिष्य उन्हें आम इंसान समझते थे। वहीं, येसु अपने धरती पर आने का वास्तविक लक्ष्य बताना चाहते थे कि वह अपने बलिदान से लोगों को पापों से मुक्ति दिलाएंगे।
चलीसाकाल महाउपवास काल पर प्रभु येसु जीवन के वरदान है। प्रभु येसु हमें दुखें से छुडाने व अनंत देने के लिए इस दुनिया में आये। बाईबिल लिखा है पाप की मजदुरी मृत्यु है, परंतु परमेश्वर का वरदान मसीह येसु में अंनंत जीवन है। प्रभु येसु पास से मनुष्य का उद्धार देने के लिए आए है। उक्त जानकारी झाबुआ पल्ली पीआरओ वैभव खराडी ने दी।

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