मनुष्य तू मिट्टी है मिट्टी में मिल जाएगा राख बुधवार के साथ शुरू हुवा ईसाई समाज का चालीसा काल
1 min readझाबुआ। आज 14 फरवरी को कैथोलिक ईसाइ समुदाय द्वारा ऐश वेनसडे यानी राख बुधवार मनाया गया। तडके साढे 6 बजे एवं शाम 6 बजे प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ। जिसमें मुख्य याजक के रूप में फादर इम्बानाथन, फादर प्रताप बारिया, फादर अंतोन कटारा व अन्य फादर मौजुद थे।
कैथोलिक कलीसिया के लिए ऐश बुधवार यानी राख बुधवार का दिन बेहद खास होता है। मान्यता है कि आज होने वाली प्रार्थनाएं लोगों के जीवन में परिवर्तन, त्याग और आदर्श को बढ़ावा देती हैं। ईसाई समुदाय के लोग आज चर्च में प्रार्थना करते हैं और इसके बाद श्रद्धालुओं के माथे पर राख मला जाता हैं। आज से लेकर पूरे चालीस दिनों तक लोग प्रार्थना, त्याग, तपस्या, पुण्य काम और अपने जीवन का मूल्यांकन करते हुए यीशु के प्रेम, बलिदान, दुख, मृत्य आदि को याद करते हुए ईस्टर की तैयारी करते हैं।
झाबुआ पल्ली पुरोहित फादर प्रताप बारिया ने बताया कि कैथोलिक चर्च में इस्टर अर्थात प्रभु येसु के पुनरूत्थान को मनाने की तैयारी के काल चक्र को चालीसा कहा जाता है। चालीसा अर्थात 40 दिन। यह 40 दिन प्रभु येसु के मरूभुमि में चालीस दिन उपवास और प्रार्थना की यादगार है।
इस वर्ष चालीसा 14 फरवरी से 30 मार्च तक मनाया जायेगा जिसके दुसरे दिन अर्थात रविवार को इस्टर मनाया जायेगा। चालीसा राखबुध से शुरू होता है इस दिन येसु के अनुयायी पवित्र खजुर की राख को अपने कपाल पर लगाकर चालीसा काल में प्रार्थना उपवास और भीक्षा दान करने का निर्णय लेते है। राख मनुष्य की क्षण भंगुरता को दर्शाती है। राख मिलने के साथ यह साद दिलाया जाता है। मनुष्य तु मिटटी है और मिटटी में मिल जायेगा। इसलिए पापमय मानवीय जीवन में परिवर्तन लाने के लिए पश्चाताप और भलाई के कार्य करने पर जोर दिया जाता है।
क्रूस यात्रा- पवित्र क्रूस यात्रा येसु के अनुयायियों के लिए एक महत्वपर्ण धार्मिक पंरपरा है। प्रत्येक शुक्रवार को इस क्रूस यात्रा के समय येसु की गिरफ़्तारी से लेकर उनके क्रूस उठाने की दर्दनाक और असहनीय पीडा, अंत में क्रूस पर ठोके जाने और मर जाने को याद करते हुए अपने किए हुए पापों के लिए पश्चाताप करते हुए।
पूण्य सप्ताह- पूण्य सप्ताह चालीसा काल का आखरी सप्ताह होता है। यह एक महत्वपूर्ण सप्ताह होता है। जब समाजजन एक समुदाय में एकत्रित होकर प्रभु येसु के दुःखभोग की कथा सुनते है। पवित्र रविवार के दिन येरूसालेम में येसु का भव्य स्वागत होता है, यह रविवार खजुर रविवार का दुःखभोग रविवार के नाम से भी जाना जाता है। पवित्र गुरूवार के दिन येसु अपने शिष्यों के साथ अंतिम भोजन करते है तथा उनके पैर धोकर सेवा और प्रेम का उदाहरण देते है। पवित्र शुक्रवार के दिन प्रभु येसु के दुखभोग मरण को याद करते है। यह घटना उनके जी उठने के साथ हमारी मूक्ति का कार्य कहलाता है। चालिसा काल येसु के दुखभोग मृत्यु और पुनरूत्थान की यादगार का समय है। उक्त जानकारी झाबुआ पीआरओ वैभव खराडी ने दी।