जिले में चल रहा है अवैध परिवहन का गोरख धंधा परिवहन अधिकारी को नहीं है प्रवाह
1 min readझाबुआ जिले में अवैध रूप से बसों में पैसेंजर अपनी जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं झाबुआ जिले में हाट के दिनों बाजार लगता है जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण हाट बाजार करने शहर में आते हैं और अपना व्यापार व्यवसाय कर वापस अपने घर इन बसों और प्राइवेट जीप कारों में जाते हैं जो की अवैध तरीके से सवारी लेते हैं बस 32 सीटर हो या जीप 9 सीटर कार हो आप इसमें देख सकते हैं की जो 32 सीटर है उसमें लगभग 80 सवारी से ऊपर बसों में सवार होती है जहां पर छत पर बैठे हुए लोग भी देखे जा सकते हैं इसमें कई स्कूली बच्चे भी तूफान गाड़ी या बसों की छत पर बैठे हुए सफर करते हुऐ जाते हैं वहीं 9 सीटर जीप पर 30 से अधिक सवारियों को बिठाते हैं झाबुआ जिले में यातायात पुलिस चेकिंग के नाम पर 500 या 1000 का चालन बनाती है और गाड़ी छोड़ देती है जिससे अवैध रूप से परिवहन करने वालों के हौसले बुलंद है जो सवारी की जान जोखिम में डालकर शासन को चूना लगा रहे हैं और बडा मुनाफा कमा रहे हैं कई बसों में तो बिना मूलभूत सुविधा के संचालित हो रही है यात्री किराया की शुची ना ही पैनिक बटन फास्ट एंड किट ना फायर कई ऐसे और कमियों के चल रही है लेकिन बात करें यहां पर परिवहन अधिकारी की तो जब से उनकी झाबुआ पद स्थापना हुई है तब से ऐसी कोई बडी करवाई देखने को नहीं मिली परिवहन अधिकारी की उदासीनता या काम मै बड़ी लापरवाही देखी जा सकती है और दूसरी तरफ उनको इन अवैध परिवहन से कोई लेना-देना ही नहीं लगता है परिवहन अधिकारी को ड्राइविंग लाइसेंस नामांतरण से ही फुर्सत नहीं मिलती है जब कोई हादसे या बड़ी घटना होती है तब जाकर कोई इक्का-दुक्का कार्रवाई देखने को मिलती है या फिर कोई भोपाल से जांच चेकिंग का आदेश आए उसका इंतज़ार कर करवाई करते हैं।
दूसरी तरफ जब कलेक्टर एवं एसपी कार्यालय में उपयोग किए जाने वाले वाहनों की पड़ताल की गई तो यहां पर भी निजी वाहन शासकीय विभागों में अटैक होकर चल रहे हैं नियम के हिसाब से शासकीय अटैचमेंट में टैक्सी परमिट वाली गाड़ी होना अनिवार्य होती है लेकिन यहां पर भी सब निजी वाहन अटैज होकर नियम कानून ताक में रखकर चल रहे हैं। जिससे मध्य प्रदेश शासन के राजस्व में भी नुकसान हों रहा रहे हैं।
सलीम हुसैन मुख्य संपादक